बैठा हुआ था एक दिन
सोच रहा था आँखे मूँद..
तभी अचानक से आन पड़ी
एक बारिश की बूँद।
प्यास बुझती देख धरती की
हुआ किसान प्रफुल्लित…
वहीं कुम्हार के भीगे मटके
सुखाने का ख्वाब हुआ मूर्छित!
बाल-मन हुआ अति उत्साहित
के बारिश में नहायेगा…
वहीं क्रिकेट-प्रेमी डूबा गम में
के अब मैच कैसे हो पायेगा!
बड़ी हवेली की मालकिन को
लगा बहुत ही रोमांटिक वैदर…
वहीं सड़क किनारे सोने वाले की
भीग गयी इकलौती चादर!
परिस्थिति की देख विडम्बना
इंद्र देव बोले दुविधा में आकर…
ऐ बूँद तू बारिश की है..
आंसू बनने का प्रयत्न ना कर!
के तू ख़ुशी क साथ आएगी
और आएगी गम के क साथ भी…
कभी खिलाएगी बहार-ऐ-चमन ..
और कभी उजाड़ेगी आँगन भी!
-ओजस अग्रवाल
Acha h ojju bahut …good poem …
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Thanks Anupa! 😀
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Kaafi achha likha hai dude!
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Thanks bro! 😀 😉
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This is 😍! Keep this going! Looking forward to more such pieces!
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sure 🙂
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Good… Keep it up!!
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Thanks 🙂
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A good one. I loved the comparison of water droplet with tears.
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Thanks Ritu Raj ji. 🙂
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you are always welcome
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